Wednesday, June 29, 2022

बेस्ट कॉपी पेस्ट *🌹अनजानी मदद🌹* *रात के 11:00 बज रहे थे और अचानक घर की घंटी बजी। रवि चौंक गया!! इतनी रात को कौन आया?* *दरवाजा खोल कर घर के बाहर आया तो देखता है कि सामने एक वृद्ध सज्जन खड़े हैं। एक ऑटो पर आए हुए तेजी से हाफ रहें थे और उन सज्जन ने उससे पूछा, "बेटा, आपका नाम?"* *उसने बोला ,"रवि"* *वृद्ध सज्जन ने कहा, "हे भगवान तेरा लाख-लाख धन्यवाद , घर मिल गया।" रवि को कुछ समझ नहीं आया, वृद्ध सज्जन ने कहा,"पानी मिलेगा?"* *रवि ने कहा, "आइए, घर के अंदर आइए।" और रवि ने उनको पानी पिलाया।* *उसके बाद वृद्ध सज्जन ने रवि के हाथ में एक चिट्ठी दी। रवि ने उस चिट्ठी को पढ़ा, पढ़कर वह दूसरे कमरे मे गया। 3-4 मिनट्स मे रवि वहाँ वापिस आया और उस ऑटो वाले को कहा,"भाई साहब आप चले जाइए।" और वृद्ध सज्जन का सामान उतार कर घर के अंदर ले आया और कहा,* *"अंकल रात बहुत हो गई है, आप सो जाइए। मैं आपका काम कल सुबह कर दूँगा।" *उस चिट्ठी में रवि के पिता ने रवि के लिए कुछ लिखा था। और वृद्ध सज्जन ने कहा कि, "आपके पिता ने मुझे भरोसा दिलाया है कि मेरा लड़का आपका काम जरूर जरूर करेगा, आप बिना किसी चिंता के निसंकोच वहाँ चले जाओ।"* *बात यह थी कि उस वृद्ध सज्जन के एकमात्र बेटे का अचानक एक सड़क दुर्घटना में देहांत हो गया था।* *सिर्फ बुजुर्ग दंपत्ति घर में थे और लालन-पालन की दिक्कत होने लग गई थी। यहाँ तक कि दैनिक जीवन के खर्चों की भी पूर्ति नही कर पा रहे थे।* *वह तो अपने बेटे की मृत्यु का कंपनसेशन लेना नही चाहते थे , लेकिन जब कोई रास्ता ना बचा तो मजबूरी में उनको कंपनसेशन लेने का सोचना पड़ा और जब करवाई आगे बढ़ी तो उन्हें पता चला कि एक कागज है जो उन्हें दिल्ली में जाकर सर्टिफाई कराना पड़ेगा।* *सालों साल वृद्ध सज्जन अपने छोटे से गाँव से बाहर नही निकले थे, दिल्ली उनके लिए बहुत डरावनी और बहुत बड़ी जगह थी।* *इतने में उनके पुराने मालिक ने अपने बेटे के नाम से चिट्ठी बनाकर दी कि जाओ मेरा बेटा रवि आपकी मदद करेगा।* *अगले दिन सुबह अंकल उठे, रवि ने उनको बढ़िया नाश्ता कराया। अपनी गाड़ी में बिठाया।* *रवि ने छुट्टी ली और छुट्टी लेकर रवि उस ऑफिस में गया, जहाँ बहुत मेहनत मशक्कत करके आखिर वह दस्तावेज निकालवा दिए।* *दस्तावेज सर्टिफाइड कराने के बाद अंकल के बस की टिकट करा दी। टिकट के साथ मिठाई का एक डब्बा दिया और बस स्टैंड पर छोड़कर निकलने ही वाला था कि इतने में वृद्ध सज्जन ने हाथ जोड़कर कहा, "रवि तुम्हारे पिता धन्य है कि उन्होंने तुम्हारे जैसी संतान को पैदा किया। वे बहुत भाग्यशाली है।* *तुम कुछ कहना चाहते हो क्या? मैं आपके पिता को संदेश दे दूँगा। उनसे कहना तो मुझे भी बहुत कुछ है, पर अगर आपकी कोई बात पहुँचानी हो तो में पहुंचा दूंगा....."* *रवि एक पल के लिए एकदम शांत हो जाता है। फिर धीरे से कहता है, "माफ कीजिएगा अंकल, आपसे एक बात कहना चाहता हूँ।" वे सज्जन बोले, "कहिए न बेटा।"* *रवि ने कहा, "अंकल मैं वह रवि नहीं हूँ जिससे आप मिलने आये थे।"* *उस पर उस वृद्ध सज्जन ने हैरानी से कहा, "पर बेटा तुम्हारे मकान के बाहर तो रवि निवास लिखा था।"* *"हाँ, वह मेरा रवि निवास है। मेरा नाम भी रवि है, लेकिन मैं वह रवि नहीं हूँ, जिसे आप ढूँढने आए थे।"* *उस वृद्ध सज्जन को कुछ समझ नहीं आया, तो रवि बोला, "कल रात को जब आप आए थे, तब आप हाफ रहे थे, लेकिन आपकी आँखों में वह उम्मीद थी कि उनका बेटा आपकी मदद जरूर करेगा।* *जब मैंने चिट्ठी पढ़ी तो मैंने आपके वाले रवि को फोन किया। वह एकदम से परेशान हो गया और असमंज मे पड़ गया क्योंकि वह कहीं बाहर गया हुआ था और आठ दस दिन बाद आने वाला था। साथ ही आपको देखकर मुझे मेरे पिता याद आ गए, जिनके लिए मैं जीवन भर कुछ ना कर पाया था।* *मेरे पास हिम्मत भी नहीं थी कि मैं आपकी उम्र और भावना को देखते हुए आपको वापस भेज सकूँ। तब मैंने निर्णय लिया कि आपका यह काम मैं करूँगा।"* *उस वृद्ध व्यक्ति की आँखों से आँसु बहने लगे और वह बोले कि, "तुम रवि को जानते नहीं हो?"* *रवि बोला, "अंकल मैं उसको नही जानता , आपकी चिट्ठी में उनका फोन नंबर था, मैंने उन्हें फोन लगाया।"* *उस पर उन्होंने फिर से पूछा, "तुम वह रवि भी नहीं हो?" वह फिर से बोला, "हाँ, मैं वह रवि भी नहीं हूँ।"* *उस पर उस वृद्ध ने कहा, "फिर भी तुमने मेरे लिए छुट्टी ली और इतना किया। कौन कहता है भगवान नहीं होता, कौन कहता है कि ईश्वर नहीं होता।"* *इसको बार-बार दोहराते हुए वह बस में बैठ कर चले गए।* *रवि अपने घर पहुँचा और उस रात उसे अपने जीवन की सबसे ज्यादा सुकून वाली नींद आई।* *साथियों जीवन में हम अपने रिश्तेदारों की, दोस्तों की अपने परिवार वालों की अपने साथ काम करने वालो की मदद करते है, इतने में ही हमारी दुनिया सिमट जाती है।* *पर क्या कभी हमने बिना किसी कारण के किसी अनजान की, जिसे हम जानते नही, पहचानते नही, उनकी मदद की है?* *एक बार ऐसा करके देखें, हम भी चैन की ऐसी दशा का अनुभव करेंगे जिसे शायद हम सभी खोज रहे हैं । *🙏जय श्री राम 🙏* ~~~~~~~~~~~~~~~~ साभार। 🙏🙏

बासमती चावल बेचने वाले एक सेठ की स्टेशन मास्टर से साँठ-गाँठ हो गयी। सेठ को आधी कीमत पर बासमती चावल मिलने लगा । सेठ ने सोचा कि इतना पाप हो रहा है , तो कुछ धर्म-कर्म भी करना चाहिए। एक दिन उसने बासमती चावल की खीर बनवायी और किसी साधु बाबा को आमंत्रित कर भोजनप्रसाद लेने के लिए प्रार्थना की। साधु बाबा ने बासमती चावल की खीर खायी। दोपहर का समय था । सेठ ने कहाः "महाराज ! अभी आराम कीजिए । थोड़ी धूप कम हो जाय फिर पधारियेगा। साधु बाबा ने बात स्वीकार कर ली। सेठ ने 100-100 रूपये वाली 10 लाख जितनी रकम की गड्डियाँ उसी कमरे में चादर से ढँककर रख दी। साधु बाबा आराम करने लगे। खीर थोड़ी हजम हुई । साधु बाबा के मन में हुआ कि इतनी सारी गड्डियाँ पड़ी हैं, एक-दो उठाकर झोले में रख लूँ तो किसको पता चलेगा ? साधु बाबा ने एक गड्डी उठाकर रख ली। शाम हुई तो सेठ को आशीर्वाद देकर चल पड़े। सेठ दूसरे दिन रूपये गिनने बैठा तो 1 गड्डी (दस हजार रुपये) कम निकली। सेठ ने सोचा कि महात्मा तो भगवतपुरुष थे, वे क्यों लेंगे.? नौकरों की धुलाई-पिटाई चालू हो गयी। ऐसा करते-करते दोपहर हो गयी। इतने में साधु बाबा आ पहुँचे तथा अपने झोले में से गड्डी निकाल कर सेठ को देते हुए बोलेः "नौकरों को मत पीटना, गड्डी मैं ले गया था।" सेठ ने कहाः "महाराज ! आप क्यों लेंगे ? जब यहाँ नौकरों से पूछताछ शुरु हुई तब कोई भय के मारे आपको दे गया होगा । और आप नौकर को बचाने के उद्देश्य से ही वापस करने आये हैं क्योंकि साधु तो दयालु होते है।" साधुः "यह दयालुता नहीं है । मैं सचमुच में तुम्हारी गड्डी चुराकर ले गया था। साधु ने कहा सेठ ....तुम सच बताओ कि तुम कल खीर किसकी और किसलिए बनायी थी ?" सेठ ने सारी बात बता दी कि स्टेशन मास्टर से चोरी के चावल खरीदता हूँ, उसी चावल की खीर थी। साधु बाबाः "चोरी के चावल की खीर थी इसलिए उसने मेरे मन में भी चोरी का भाव उत्पन्न कर दिया। सुबह जब पेट खाली हुआ, तेरी खीर का सफाया हो गया तब मेरी बुद्धि शुद्ध हुई कि 'हे राम.... यह क्या हो गया ? मेरे कारण बेचारे नौकरों पर न जाने क्या बीत रही होगी । इसलिए तेरे पैसे लौटाने आ गया । "इसीलिए कहते हैं कि.... जैसा खाओ अन्न ... वैसा होवे मन। जैसा पीओ पानी .... वैसी होवे वाणी । जैसी शुद्धी.... वैसी बुद्धी.... । जैसे विचार ... वैसा संसार।

Monday, June 13, 2022

ગઈકાલે એક નવા નંબર પરથી ફોન આવ્યો. મેં ફોન ઉપાડ્યો અને કહ્યું : હા, કહો. સામેથી કોઈ સ્ત્રી ગુસ્સામાં બોલી : સવારે નાસ્તો કર્યા વગર ઓફિસ કેમ ગયા? કેટલી વાર કહ્યું છે કે રાતના ઝગડાને સવારમાં ભૂલી જવા, પણ તમે સમજતા કેમ નથી. આજે તમે ઘરે આવો પછી સારી રીતે તમારી ખબર લઉં છું. હું સ્પષ્ટ કહું છું કે, જો મને બાળકોની ચિંતા ન હોત તો ક્યારનીય તમારાથી દૂર જતી રહી હોત. તે સ્ત્રી ગમે તેમ બોલી રહી હતી અને હું આશ્ચર્ય ચકિત થઈને વિચારી રહ્યો હતો કે આ નિર્દોષ સ્ત્રી કોણ છે જે મને પોતાનો પતિ માનીને મારો ક્લાસ લઈ રહી છે. અને મારે તો દૂર દૂર સુધીનું સગાઇના પણ કોઈ સંકેત દેખાતા નથી. જ્યારે તે સ્ત્રીએ બોલવાનું બંધ કર્યું ત્યારે મેં કહ્યું : શ્રીમતી, તમે કદાચ ખોટા નંબર પર ક્લાસ લઇ લીધો. પણ હું તમારો આભારી છું કે મારા લગ્ન થયા ન હોવા છતાં તમે થોડી વાર માટે મને પરણેલા હોવાનો અનુભવ કરાવ્યો. પછી તે સ્ત્રીએ કહ્યુ : મારા લગ્ન પણ હજી બાકી જ છે. હમણાં જ મારા લગ્ન નક્કી થયા છે, તો મારી ભાભીએ કહ્યું કે તું કોઈપણ નંબર ડાયલ કર અને તેને ખંખેરી નાખ. તેનાથી પ્રેક્ટિસ પણ થશે અને હૃદયને સંતોષ પણ મળશે. 😃😜 😁😜😜 😀 😆

Wednesday, June 8, 2022

*વાળ કાપવા ની દુકાન માં વાંચ્યું* *"અમે તમારા દિલ નો નહી, પણ માથાનો બોજો જરુર હલકો કરીશું*" *લાઇટ ની દુકાન માં લખ્યું હતું* *"તમારા દિમાગની બત્તી ભલે ન થાય પણ અમારો બલ્બ જરુર સળગશે*" *ચા વાળા એ પાટીયું મુક્યું હતું* *"હું ભલે સાધારણ છું પણ ચા સ્પેશિયલ બનાવું છું*" *એક હોટલ માં લખ્યું હતું* *"અહીં ઘર જેવું ખાવાનું નથી મળતું ખચકાટ વગર પધારો*" *એક ઇલેક્ટ્રોનિક ની દુકાન માં લખ્યું હતું* *"તમારો કોઇ ફેન નથી ? વાંધો નહીં અહીંથી એક લઇ જાવ*" *પાણી પુરી વાળા એ પાટીયું મુક્યું હતું* *"દિલ મોટું નહી હોય તો ચાલશે, મોઢું મોટું રાખો અને આખું ખોલો*" *એક ફળ વાળાએ તો હદ કરી,* *"તમે ફક્ત કર્મ કરો ફળ અમે આપીશું*" *ઘડિયાળ વાળા એ તો ગજબ કરી* *"ભાગતા સમય ને કાંડે બાંધો અથવા દિવાલ પર લટકાવો*" *જ્યોતિષી તો એકતા કપૂર નો ચાહક નીકળ્યો* *"ફક્ત 100 રૂ માં તમારી જીંદગી ના આવનાર એપિસોડ જાણો*" *વાળ ના તેલ ની કંપની એ એની બોટલ પર લખાવ્યું* *"ભગવાન જ નહીં અમે પણ તમારો વાળ પણ વાંકો નહીં થવા દઇએ.*" *તમે જેમ થોડું થોડું હસ્યા એમ બીજા ને પણ હસાવો અને સ્વસ્થ રહો, મસ્ત રહો.* *વિશ્વ હાસ્ય દિવસ* 😁😁😁😁😁😁😁😁

એક નિઃસ્વાર્થ ભાવે કરેલું કાર્ય* *ક્યારેય નિષ્ફળ જતું નથી.*

 *કર્મ ના ફળ નું ફળ* સ્કોટલેન્ડમાં આવેલા મોટા-મોટા ખેતરોમાંથી એક ખેડૂત, જેનું નામ ફલેમિંગ હતું. એ ઝપાટાભેર જઈ રહ્યો હતો. એને ઘેર પહોંચવાની ઉ...